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कामिनी भाग 20

कामिनी को उस सफेद वृक्ष के नीचे बहुत अच्छा लगता है, चेतन उस वृक्ष का एक पत्ता, तोड़ने का प्रयास करता है, तभी कामिनी  कहती है

"रुको,,,,इस वृक्ष का निर्माण, मेरे परम शत्रु ने किया था, इसलिए हम, इस वृक्ष के पत्ते को, किसी को नहीं ले जाने देते हैं और ना ही यहां किसी को आने देते हैं, तुमसे अधिक प्रेम होने के कारण, मैंने कुछ नहीं कह पर मैं, तुम्हें इस पत्ते को तोड़ने की अनुमति नहीं दे सकती"!कामिनी ने स्पष्ट कहा

"कोई बात नहीं,,,मैं इस पत्ते के बिना भी अपना काम कर सकता हूं"! चेतन ने कहा

"कौन सा काम"? कामिनी ने पूछा

"कामपुर की रानी, मुझसे काम के विषय में जानना चाहती हूं, एक बात स्पष्ट बताना चाहता हूं, जानेमन,,,, में कामसूत्र विषय में बहुत कमजोर विद्यार्थी रहा हूं"! चेतन ने व्यंग्य भाव से कहा

"काम,,,कई तरह के होते हैं, तुम जितने अजीब दिखते हो, उतनी ही अजीब बातें भी करते हो"! कामिनी ने कहा

"मैं जितनी अजीब बातें करता हूं, जितना अजीब दिखता हूं, उतने अजीब काम भी करता हूं"! चेतन ने कामिनी के होठों पर उंगली रखते हुए कहा

"तो फिर करते क्यों नहीं, क्यों मुझे और खुद को सता रहे हो"? "तुम्हारे शरीर की यह,भिनी भिनी गंध, मुझे बहुत ही जानी पहचानी लगती है, और मैं, तुमसे मिलन करने के लिए,व्याकुल हो जाती हूं"!कामिनी ने उसके गालों को छूते हुए बेसब्र भाव से कहा

"यही तो प्रॉब्लम है, जानेमन,,,,समझ में नहीं आता, कहां से शुरू करूं, क्या करूं और कैसे करूं"? चेतन ने कहा

"ठीक है,,,आज तुम कुछ मत करो,आज सब कुछ में करती हूं, तुम अपनी आंखें बंद करके, इस खेल का मज़ा लो"! कामिनी ने कहा

"ऐसा क्या करने का इरादा है"? चेतन ने पूछा

"तुम प्रश्न बहुत पुछते हो,जैसे कहीं के गुप्त चर हो"? कामिनी ने धक्का मारते हुए कहा

"अरे,,,पर "! चेतन इतना ही कह पाया, इतने में कामिनी ने उसके नशीले होंठ, चेतन चुड़ैल के होठों पर रख दिए, चेतन को लगा, जैसे सूखे किनारो पर लहर आ गई, सुखे किनारो की प्यासी मिट्टी, जो बेजान पड़ी थी, जो दरारों से भरी पड़ी थी, उस पर इस स्पर्श ने मोम का काम किया, जिसने उसके होठों को अपने होठों की नमी दे दी, होठों के छोटे-छोटे घाव को मरहम भरे होठों से इलाज मिल गया, होंठो की यह लहर, दरारों को तो भर गई पर आने वाली सुनामी लहर का इशारा दे गई, इसीलिए चेतन चुड़ैल में कामदेव जैसी, स्फूर्ति और ऊर्जा गई है और वह नृत्य कर अपने पोरुष और अपनी उत्सुकता का प्रदर्शन कर रहा है, चेतन ने पांच नृत्य कलाए दिखाई, तब कामिनी की 5000 वर्ष पुरानी यादें, ताजा हो गई, जब मानक राव ने उसे यह नृत्य कलाए दिखाई थी, कामिनी बेसुध होकर

"मानक राव,,,मानक राव"! कहती हुई चेतन से लिपट गई और उसके गाल, होठं, नाक, आंख, कपाल को चूमने लगी और उस से नागिन की तरह लिपट गई

"मानक राव कौन है"? चेतन ने पूछा

"एक बेरी पिया था, जिसका प्रेम, मुझे यहां तक ले आया है"!कामिनी ने आंसू पोछते हुए कहा

"जिस प्रेम के दर्द से आंखें भर आए, वह प्रेम नहीं हो सकता, क्योंकि सच्चे प्रेम के आंसू, ख़ुशी के होते हैं, दर्द के नहीं"! चेतन ने बताया

"यह बात तुम, मुझे 5000 वर्ष पहले बताते तो शायद मैं यहांतक  नहीं आ पाती"!

"कही थी, पर तुमने सुनी नहीं  मेरा मतलब, अब मान लो, अभी भी सब कुछ ठीक हो सकता है"! चेतन ने कहां

"अब कुछ नहीं हो सकता, क्योंकि अब सब कुछ हो चुका है और तुम,अपनी आंखें बंद करो और कृपा कर चुप रहो"!

कामिनी ने उसका कोट निकालकर,फेंका और उससे लिपटकर, उसके शर्ट के बटन खोलने लगी ओर उसके गले को मक्खन की तरह चाटती हुई, उसकी छाती की और  झुकी  उसके सीने पर हाथ फेरते हुए चेतन की  निप्पल को मुंह में भरकर, चुभने लगी, उसने ऐसा दोनों निप्पल के साथ किया और उन्हें छोड़ वह नीचे झुकी, उसके पेट और नाभि को चूमने लगी फिर वह घुटनों के बल पर बेठ गई, उसने चेतन का चड्ढा खोला और फिर खड़े होकर होंठो को चूमा

चेतन आंखें बंद कर इस सुखद, आनंद  मैं मगन हो चुका है, फिर कामिनी उसे पोधो की आड़ में ले जाकर, आहिस्ता से लेटा देती है और फिर कामिनी अपना दुपट्टा निकालकर फेंकती है, फिर ब्लाउज और अंत में अपना घाघरा निकाल कर फेकती है, चेतन के अरमान किसी जलते हुए ज्वालामुखी से कम नहीं है, क्योंकि वह भूखे शेर की तरह अपना शिकार ढूंढ रहा था, जो आज हाथ लगा है, इसीलिए वह कामीनी की चीखे निकाल देता है और उसे थका देता है, तब कामिनी कहती है

"आज पहली बार इतना मजा आया,और पूरी तरह थक चुकी हूं, अब शरीर में हिलने डुलने की शक्ति भी नहीं है"!

"अभी तो बस, आरंभ हुआ है, तिन आसन ओर बाकी है"! चैतन ने कहा

" मेरे प्राण लेने का इरादा है क्या"!

"प्राणों को कुछ नहीं होगा, जानेमन,,,बस थोड़ा दर्द हो ज्यादा होगा, चलो हलासन मुद्रा में लेट जाओ"! चैतन ने निवेदन किया

"हलासन में दर्द बहुत ज्यादा होता है"! कामिनी ने कहा

"उत्तनासन में लेट जाओ"! चेतन ने कहा

"4 दिन तक चल फिर नहीं पाऊंगी"!कामिनी ने बताया

"तो ठीक है,,,त्रिपादासन में लेट जाओ"! चैतन ने बताया

"तुम प्रेम करने आए हो या कोई बदला लेने आए हो, संभोग के इन आसनों के लिए शरीर में ऊर्जा चाहिए, में पहले ही बहुत थक गई हूं, अब नहीं कर पाऊंगी, क्षमा करना, मेरे उर्जावान प्रेमी"! कामिनी ने कहा

"ठीक है,,,,तो एक काम करो, घोड़ी बन जाओ"! चैतन ने कहा

"यह क्या होता है"? कामीनी ने पूछा

"अश्वासन"! चेतन ने कहा

कामिनी ने हां,,में गर्दन हिलाते हुए सहमति जताई और घोड़ी बन गई, फिर दोनों के बीच में शारीरिक संबंधों की सारी हदें, पार हो जाती है और दोनों की कामुक इंद्रीया, अपनी उत्तेजना खोकर, शांत हो जाती है

चेतन,कामिनी के ऊपर लेटा हुआ है, तभी उसे अपने सामने, उस सफेद वृक्ष का पत्ता दिखाई दिया, चेतन ने उसे ध्यान से देखा, उसे पत्ते के ऊपरी भाग पर जलती हुई मशाल और नीचे का भाग महिला की चोटी की तरह, चित्र अंकित दिखाई दे रहा है फिर चैतन उस पत्ते को उठाया

तभी कामिनी ने कहा

"अगर अपने प्राणों से प्रेम करते हो तो इस पत्ते को फेंक दो"!

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2 Comments

Khushbu

15-Dec-2023 06:55 PM

V nice

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Madhumita

15-Dec-2023 06:48 PM

Nice

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